मनुष्य के संवेदी अंग | Sense Organs In Hindi | ह्यूमन सेंस ऑर्गन्स | ज्ञानेंद्रिय किसे कहते हैं? प्रकार व कार्य

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Sense Organs In Hindi, मनुष्य के संवेदी अंग (Human Sense Organs) (ज्ञानेन्द्रिय) | ह्यूमन सेंस ऑर्गन्स, ज्ञानेंद्रिय किसे कहते हैं? प्रकार व कार्य


Human Sense Organs In Hindi
Human Sense Organs In Hindi

संवेदी न्यूरॉन्स संवेदी अंग बनाते हैं, जो विशेष अंग हैं। यह हमारे आस-पास की हमारी धारणा और प्रतिक्रिया में सहायता करता है। मानव शरीर में पांच संवेदी अंग होते हैं। पांच संवेदी अंग आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा हैं।


इंद्रिय अंग विशेष अंग हैं जो हमारे आस-पास की दुनिया की हमारी धारणा में सहायता करते हैं और हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे ही एकमात्र साधन हैं जिनके द्वारा हम अपने परिवेश को समझ सकते हैं।


इंद्रिय अंग आवश्यक जानकारी देते हैं, जिसकी व्याख्या अन्य अंगों और तंत्रिकाओं के एक नेटवर्क द्वारा की जाती है। वे सभी एक निश्चित भौतिक घटना की प्रतिक्रिया में कार्य करते हैं।


एक भावना एक जैविक तंत्र है जो एक जीव संवेदना, सूचना एकत्र करने और उत्तेजनाओं की प्रतिक्रिया के लिए उपयोग करता है। मस्तिष्क को इंद्रियों से संकेत मिलते हैं, जो लगातार पर्यावरण से जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, इन संकेतों की व्याख्या करते हैं, और शरीर को प्रतिक्रिया देने का कारण बनते हैं, और संवेदी अंग एक सनसनी के दौरान पारगमन के लिए कई उत्तेजना एकत्र करते हैं। एक जीव के जीवन का लगभग हर पहलू संवेदना और धारणा के इर्द-गिर्द घूमता है। हमारे आस-पास की दुनिया के साथ हमारे जुड़ाव और अंतःक्रियाएं इन इंद्रियों द्वारा नियंत्रित होती हैं।


इस आर्टिकल में हम मानव के प्रमुख संवेदी अंगों  (Human Sense Organs) के बारे में बात करेगे | मनुष्य के संवेदी अंग (Human Sense Organs) कोन से है और उनके प्रमुख कार्य क्या है, मानव कान (Human Ear), मानव नेत्र (Human Eye), मनुष्य का नाक (Human Nose), मानव त्वचा (Human Skin), मानव जीभ (Human Tongue) आदि Human Sense Organs के क्या कार्य है | साथ ही हम मनुष्य के संवेदी अंग (Sense Organs) से जुड़े महत्वपुर्ण तथ्य जानेगे |


ज्ञानेंद्रियां किसे कहते हैं? | What is Sense Organs in Hindi


ज्ञानेंद्रियां (Sense Organs) मनुष्य के ऐसे अंग है जो देखने, सुनने, सूंघने, महसूस करने, स्वाद, ताप व रंग का पता लगाने का कार्य करते हैं। साधारण भाषा में वातावरण में होने वाले परिवर्तनों को ग्रहण करने वाले अंगो को ज्ञानेन्द्रियां (Sens Organs) कहते हैं।


हम अपनी ज्ञानेंद्रियों का प्रयोग करके यह आसानी से जान पाते हैं कि बाहरी वातावरण में क्या हो रहा है। सामान्यता मानव शरीर में पांच प्रकार की ज्ञानेंद्रियां होती हैं। जिनका अध्ययन हम आगे विस्तार से करेंगे।


संवेदी तन्त्रिकाएँ उद्दीपनों को मस्तिष्क तक पहुंचाती है तथा आवश्यकतानुसार चालक तन्त्रिका तन्तुओं द्वारा इन्हें प्रतिक्रियाओं के रूप में अपवाहक अंगों को भेज दिया जाता है। मनुष्य के प्रमुख संवेदी अंग कान (Ear), आँख (eye), नाक (Nose) तथा त्वचा (skin) है।


मानव शरीर मे ज्ञानेंद्रियों की संख्या | Number of Sense Organs in Hindi

मानव शरीर में मुख्य रूप से पांच प्रकार की ज्ञानेंद्रियां होती हैं। इन 5 ज्ञानेंद्रियां के नाम आंख (Eyes), नाक (Nose), कान (Ears), जीभ (Tongue) और त्वचा (Skin) हैं। इन पांचों ज्ञानेंद्रियों का कार्य अलग-अलग है। यह ज्ञानेंद्रियां  हमारे दैनिक जीवन में बहुत ही उपयोगी होती हैं जिनके बिना हमारा जीवन व्यर्थ है।


ज्ञानेंद्रियों के कार्य | Functions of 5 Sense Organs in Hindi

जैसा कि हम ऊपर अध्ययन कर चुके हैं कि ज्ञानेंद्रियां 5 प्रकार की होती हैं।


5 Sense Organs Name Hindi/English


१) आंख (Eyes)

२) कान (Ears)

३) नाक (Nose)

४) जीभ (Tongue)

५) त्वचा (Skin)


आइए इनके कार्य के बारे में जानते हैं।


मानव कान (Human Ear)

कान ध्वनि तरंगों को सुनने एवं सन्तुलन बनाने में सहायक होते हैं।


मध्य कर्ण में शरीर की सबसे छोटी अस्थि स्टेपीस होती है।


कर्ण पल्लव की तन्तुमय उपास्थि ध्वनि तरंगों का संग्रह करती है। मनुष्य में कर्ण पल्लव अवशेषी अंग हैं।


कान को भीतर से देखने के लिए अरीस्कोप का प्रयोग करते हैं।


हम अपने दैनिक जीवन में कान के माध्यम से ही किसी ध्वनि ,आवाज, शोरगुल को आसानी सुन पाते हैं। कान हमारी सुनने में सहायता करता है तथा शरीर का संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कान शरीर का वह Sens Organs है जिसके माध्यम से हम किसी ध्वनि को सुन सकते हैं। सुनने के साथ साथ कान हमारे शरीर का संतुलन बनाने में भी सहयोग करता है।


मानव नेत्र/आंख (Human Eye)

नेत्र या आँखे प्रकाश संवेदी अंग हैं। प्रत्येक नेत्र एक गेंद के आकार की गोल एवं खोखली रचना है, इसे नेत्र गोलक (eyeball) कहते हैं।


आंख किसी भी प्राणी का वह प्रमुख अंग है जो किसी भी वस्तु को देखने में सहायता प्रदान करता है। आंख के माध्यम से हम किसी भी वस्तु को देख सकते हैं और पहचान सकते हैं साथ साथ हम यह भी आसानी से जान जाते हैं कि कौन सी वस्तु किस रंग की है। यह सभी कार्य में प्रकाश की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः Sens Organs से हम देखने के साथ-साथ रंगों को भी पहचान लेते हैं।


दृढ़ पटल (Sclerotia)

दृढ़ पटल (Sclerotia) बाह्य दृढ़ तथा गोलक के कोटर से बाहर पारदर्शी कॉर्निया (cornea) बनाता है।


रक्तक पटल (Choroid)

रक्तक पटल (Choroid) कोमल, संयोजी ऊतक का बना होता है । इसमें रंगा कणिकाएँ होती हैं। रंगा कणिकाएँ खरगोश में लाल, मनुष्य में काली, भूरी या में नीली होती हैं।


दृष्टि पटल (Retina)

दृष्टि पटल (Retina) सबसे भीतरी परत है, जो संवेदी होती है। दृष्टि पटल पर प्रतिविम्व सत्य एवं उल्टा बनता है। यह नेत्र गोलक की सबसे भीतरी संवेदी परत है, यह दो प्रकार की कोशिकाओं, दृष्टि शलाकाएँ (rods) एवं दृष्टि शंकुओं (cones) की बनी होती है।


शलाकाएँ

शलाकाएँ कम प्रकाश के लिए संवेदी होती हैं तथा इनमें लाल गुलावी वर्णक, रोडोप्सिन पाया जाता है।


शंकु तेज प्रकाश के लिए संवेदी है तथा रंगों में अन्तर उत्पन्न करते हैं; जैसे- लाल, हरा, नीला आदि ।


मानव के प्रमुख दृष्टि दोष

निकट दृष्टि दोष (Myopia)

इसमें केवल कम दूरी की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के सामने बनता है यह रोग अवतल लेन्स के उपयोग द्वारा ठीक हो सकता है।


दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia)

इसमें केवल दूर की वस्तुएँ दिखाई देती हैं। प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के पीछे बनता है। इस रोग को उत्तल लेन्स (convex lens) का उपयोग करके दूर किया जा सकता है।


दृष्टिवैषम्य (Astigmatism)

इसमें कॉर्निया की आकृति असामान्य हो जाती है। सिलैण्ड्रोकल लेन्स द्वारा यह रोग दूर हो सकता है।


कन्जक्टीवाइटिस (Conjunctivitis)

जीवाणु द्वारा कन्जक्टिवा में सूजन आ जाती है। 5. रतौंधी (Night blindness ) विटामिन A की कमी से रोडोप्सिन का निर्माण कम होता है, जिसके कारण कम प्रकाश में दिखाई नहीं देता।


वर्णान्धता (Colour blindness)

यह आनुवंशिक रोग है, जो आँखों में शंकु कोशिकाओं की कमी से होता है। ऐसे व्यक्ति लाल व हरे रंग में अन्तर नहीं कर पाते।


मनुष्य का नाक (Human Nose)

नाक गन्ध ग्रहण करने वाला संवेदी अंग है।


नासावेश्मों (nasal chamber) की दीवार घ्राण उपकला (olfactory epithelium) अस्थियों पर मढ़ी रहती है।


घ्राण ग्राही कोशिकाएँ लम्बी पतली एवं तुर्क रूप तथा द्विध्रुवीय तन्त्रिका कोशिकाएँ होती हैं। घ्राण कोशिकाएं, स्वाद कोशिकाओं की तुलना में अधिक रसायन संवेदी होती हैं। प्राण संवेदनाओं; जैसे-मिर्च, क्लोरोफार्म, अमोनिया आदि से आँसू निकल आते हैं। कुत्ते तीव्र घ्राण संवेदी होते हैं।


कुत्ते विभिन्न मनुष्यों की पहचान इसलिए कर लेते हैं क्योंकि इनमें अन्तर करने की क्षमता होती है।


विभिन्न मनुष्यों की गन्ध में मॉथ, तितली आदि को एन्टीना में घ्राण रसायन संवेदांग होते हैं।


नासावश्मों के आधार पर जैकोब्सन के अंग (Jacobson’s organs ) नामक दो खोखले कोश होते हैं। मनुष्य में ये अवशेषो होते हैं।


नाक हमारे शरीर का वह Sense Organs है जिसके द्वारा किसी वस्तु को सुनकर उसकी गंध का पता लगाया जाता है। नाक के माध्यम से हम किसी गंध वाली वस्तु को सूंघ सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि नाक चखने और स्वाद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नाक के माध्यम से हम सांस लेते हैं।


मानव त्वचा (Human Skin)

त्वचा शरीर का बाह्य आवरण है। यह शरीर की सुरक्षा का पहला बाहरी कवच है।


त्वचा का बाहरी स्तर उपचर्म या एपीडर्मिस (epidermis) होता है, जो एक्टोडर्म (ectoderm) से बनता है। त्वचा का आन्तरिक स्तर चर्म या डर्मिस (dermis) होता है, जो मीसोडर्म (mesoderm) से बनता है।


त्वचा में त्वक् संवेदी (Cutaneous Receptors) होते हैं, जो निम्न हैं:


एल्जीसी रिसेप्टर (algecireceptor) पीड़ा ग्राही


मीसनगर के देहाणु (Meissner’s corpuscles) तथा मरकेल की तश्तरियाँ (Merkel’s discs) स्पर्शग्राही (tangoreceptor) है।


पैसीनी के देहाणु (Pacini’s corpuscles) दाब तथा कम्पन ग्राही होते हैं।


क्राउस के देहाणु (Krause’s corpuscles) शीत उद्दीपन ग्रहण करते हैं और शीत ग्राही (cold receptors) कहलाते हैं।


रूफिनी के छोर अंग (end organ of Ruffini) गर्मी का उद्दीपन ग्रहण करते हैं और ऊष्मा ग्राही (heat receptors) कहलाते हैं।


यह Sens Organs एक संवेदनशील अंग होता है जो वातावरण में होने वाले मौसम परिवर्तन जैसे सर्दी, गर्मी, बरसात, चोट, ताप, ठंडा गर्म का एहसास करता है। यह हमारे शरीर के आंतरिक हिस्सों को एक Cover के रूप में ढककर रखता है।


त्वचा का आंतरिक भाग संयोजी ऊतक का बना होता है इसलिए इसको तरल पदार्थ में रखने पर भी खराब नहीं होता है। त्वचा हमारी कीटाणुओं से रक्षा करता है साथ साथ बहुत से भयंकर बीमारी से बचाता है। त्वचा जब सूर्य का प्रकाश पाता है तो विटामिन डी का निर्माण करता है। इन सबके अलावा त्वचा के बहुत से उपयोगी कार्य है।


मानव जीभ (Human Tongue)

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना। यह संवेदनशील होती है और लार द्वारा नम बनी रहती है, साथ ही इसे हिलने-डुलने में मदद करने के लिए इसमें बहुत सारी तंत्रिकाएं तथा रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं। इन सब के अलावा, जीभ दातों की सफाई का एक प्राकृतिक माध्यम भी है।


जीभ हमारे शरीर का वह प्रमुख अंग है जो स्वाद अनुभव कराने में हमारी सहायता करता है। हम कोई भी खाद्य पदार्थ खाते हैं तो जीभ ऐसा Sens Organs है जो पता लगाता है कि वह खाद्य पदार्थ खट्टा है, मीठा है, कड़वा है , नमकीन या स्वादहीन है। जीभ स्वाद पता लगाने का प्राथमिक अंग है। इसके अलावा जीभ शब्दों पर नियंत्रित करने में काम आता है। अगर जीभ नहीं होगा तो हम बोल नहीं सकते हैं। जीभ शब्द, वाक्य या अक्षर को बोलने में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


मनुष्य के संवेदी अंग (Sense Organs) से जुड़े महत्वपुर्ण तथ्य

उभयचर, सरीसृप तथा पक्षियों में एक ही कर्ण अस्थि मैलियस पाई जाती है।


आइरिस के केन्द्र में दिखाई पड़ने वाला काला छिद्र तारा (pupil) है।


उल्लू की रेटिना में शलाकाएँ अधिक, जबकि मुर्गा (fowl) की रेटिना में शंकु अधिक पाए जाते हैं।


कॉर्निया नेत्र का असंवहनीय भाग है।


कशेरुकियों की त्वचा का रंग मिलेनीन वर्णक के कारण होता है।


मांसाहारी जन्तुओं; जैसे बिल्ली, कुत्ता, शेर आदि की आँखें टेपिटम ल्यूसीडम के कारण रात में चमकती है।


पीले-हरे रंग के लिए आँखें सबसे अधिक संवेदी होती हैं।


मधुमक्खियाँ पराबैंगनी किरणें देख सकती हैं, जबकि गिद्ध में सबसे तीव्र दृष्टि पाई जाती है।


शरीर अनुपात के आधार पर हिरन में सबसे बड़ी आँखें होती हैं।


दृष्टिपटल पर प्रतिबिम्ब सत्य एवं उल्टा बनता है।


FAQ

1. Q - सेंस ऑर्गन का अर्थ क्या होता है?

A. संवेदी तन्त्रिकाएँ उद्दीपनों को मस्तिष्क तक पहुंचाती है तथा आवश्यकतानुसार चालक तन्त्रिका तन्तुओं द्वारा इन्हें प्रतिक्रियाओं के रूप में अपवाहक अंगों को भेज दिया जाता है।


2. Q - संवेदी अंगों से आप क्या समझते हैं?

A. देखना (आँखों से), सुनना (कानों से), छूना (त्वचा से), सूंघना (नाक से) और स्वाद लेना (जीभ से)।


3. Q - इंसान में कितने सेंस होते हैं?

A. काफी पुरानी मान्‍यता है कि मनुष्‍य की 5 इंद्रिया दृष्टि, गंध, ध्वनि, स्पर्श, स्वाद का पता करने की क्षमता रखती हैं। जब कि मनुष्‍य के पास एक छठी इंद्रिय, यानी की वह अपने सिक्‍स्‍थ सेंस से अपने आस-पास या आगे घटित होने वाली चीजों का भी पता लगा लेता है।


4. Q - सेंस का हिंदी अर्थ क्या है?

A. संवेद या इन्द्रियबोध (sense) उन शारीरिक क्षमताओं को कहते हैं जिनसे प्राप्त हुए ज्ञान से किसी जीव को अपने वातावरण का बोध होता है। मनुष्यों में पाँच प्रमुख संवेदी अंग (इन्द्रियाँ) हैं- देखना, सुनना, छूना, सूंघना और स्वाद लेना । किन्तु मनुष्य में इनके अलावा भी बहुत से संवेदों को ग्रहण करने की क्षमता होती है, जैसे ताप आदि।



 
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