Guru Nanak Jayanti | गुरु नानक जयंती पर क्यों मनाया जाता है प्रकाश पर्व, जानें कैसे गुरु बने संत

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Guru Nanak Jayanti | गुरु नानक जयंती


गुरु नानक जयंती 2023 [कब है, कैसे मानयें, जन्म, परिवार, प्रमुख शिक्षा, मृत्यु, गुरु नानक जीवन परिचय, जीवनी ] [Guru Nanak Jayanti 2023, kab hai, date of birth, guru nanak biography in hindi, death date, importance, history]


गुरु नानक जयंती एक महत्वपूर्ण सिख पर्व है, जो सिख समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस साल, कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को है, इसलिए सिख समुदाय में इसे धूमधाम से मनाया जाएगा। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।


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गुरु नानक जयंती 2023 [Guru Nanak Jayanti 2023]


गुरु नानक जयंती27 नवंबर
गुरु नानक का जन्म15 अप्रैल 1469 में
गुरु नानक मृत्यु 22 सितंबर 1539
माता का नामतृप्ता
पिता का नामकल्याणचंद
जयंती मनाने का तरीकागुरु ग्रंथ साहिब का पाठ, फूलों से सजाना, जुलूस का आयोजन, गुरुवाणी का पाठ


गुरुनानक जी की जन्म तिथि और स्थान [Date of Birth]

विद्वानों का मानना है कि गुरु नानक सिख धर्म के पहले गुरु हैं. 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक देव का जन्म तलवंडी ननकाना साहिब में हुआ था. इसके कारण उन्हें गुरु नानक देव कहा जाता है. 16 साल की आयु में उनका विवाह सुलखनी नामक एक कन्या से हुआ था. उनके दो पुत्रे थे, जिनके नाम थे श्रीचंद और लक्ष्मीचंद. पुत्रों के जन्म के बाद, गुरु नानक देव अपने साथियों के साथ तीर्थ यात्रा पर निकले, जिसे पंजाबी में ‘उदासियां’ कहते हैं. सन् 1539 में, गुरु नानक देव जी करतारपुर में अनंत में विलीन हो गए थे. उन्होंने बाबा लहना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया था, जिसके बाद में वह गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए. गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानव समाज के कल्याण और उनकी भलाई के लिए समर्पित किया था.


गुरु नानक जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। यह स्थल नानकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है और सिखों के लिए एक पवित्र स्थल है। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की और वे एक महान संत और गुरु थे जो समाज को सुधारने का कार्य किया। उन्होंने जात-पात के खिलाफ खड़ा होकर सवाल उठाया और धार्मिक आडंबर और अंधविश्वास के खिलाफ भी उत्कृष्ट संघर्ष किया। उन्होंने लंगर की प्रारंभिक प्रथा शुरू की, जिससे छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी एक साथ भोजन कर सकते थे। गुरु नानक देव जी ने सिखों को एक ही ईश्वर का संदेश दिया, जिसका अर्थ है कि ईश्वर एक है।


गुरु नानक का परिवार [Family]

गुरु नानक देव जी का परिवार उनके माता-पिता के साथ था, और उनकी माता का नाम तृप्ता और पिता का नाम कल्याणचंद था। गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानव कल्याण में समर्पित किया और हमेशा आध्यात्मिक चिंतन में लगे रहे। वे सांसारिक वस्त्रादि की आकर्षण से दूर रहते थे और उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा था।


गुरु नानक देव जी का सन्तानों के साथ एक बड़ा परिवार था, जिनमें उनकी पत्नी बाटला, दो पुत्र श्रीचंद और लक्ष्मीदास, और एक बहन जानकी भी थीं।


ऐसे मनाते हैं गुरुनानक जयंती

गुरुनानक जयंती को मनाने के तरीके में अनेक उत्सव शामिल होते हैं, इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिखों द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है। एक पालकी पर गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर जुलूस का आयोजन किया जाता है, जिसमें निशान साहब और सिख ध्वज भी शामिल होते हैं। इस शोभायात्रा के दौरान गुरुवाणी का पाठ भी किया जाता है।


गुरु नानक देव जी ने तीन प्रमुख शिक्षाएं

गुरु नानक देव जी ने तीन प्रमुख शिक्षाएं दी थी, जो मानव जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को बताती थीं।


पहली शिक्षा थी “कीरत करों,” जिसके अंतर्गत वह सिखाते थे कि कर्म के बिना कुछ नहीं मिलता और अच्छे कर्म करने का महत्व है।


दूसरी शिक्षा थी “नाम जपो,” जिसमें उन्होंने बताया कि भगवान का नाम जपने का महत्व है और साथ ही साथ उन्होंने खाने-पीने का महत्व भी बताया।


तीसरी शिक्षा थी “वंड छक्को,” जिसमें उन्होंने समाज सुधार के लिए एकता और सहयोग का महत्व बताया, और लोगों के साथ सहयोग करके उनकी सहायता करने की सिख दी। गुरु नानक देव जी के उपदेशों के माध्यम से मानवता के मूल्यों का पालन करने की महत्वपूर्ण सीख मिलती है।


गुरु नानक देव जी की मृत्यु [Death]

22 सितंबर 1539 को, गुरु नानक देवजी ने अपने शरीर को त्याग दिया। उनके मरण के बाद, करतारपुर के उनके आवास पर एक विवाद उत्पन्न हुआ। हिन्दू शिष्य उनका दाह संस्कार करना चाहते थे, जबकि मुस्लिम अनुयायी उन्हें मुस्लिम रीति से दफनाना चाहते थे। कहा जाता है कि जब निधन के कुछ देर बाद उनकी कफन हटाई गई, तो वहां गुरू का शरीर नहीं था, बल्कि वहां कुछ फूल थे। तब हिन्दू और मुस्लिम दोनों ने आधे-आधे फूल बांट लिए और उनका अंतिम संस्कार अपने-अपने तरीकों से किया। गुरु नानक देव जी ने अपनी पांचवीं उदासी के दौरान ही करतारपुर में बसने का निर्णय लिया।


15वीं शताब्दी में नानक के संदेश का प्रभाव

15वीं शताब्दी के समय, भारत आक्रमणकारियों के हमलों का सामना कर रहा था, और देश की संपदा को लूट रहे थे। लोग धन और दौलत इकट्ठा करने के लिए बुराई करने में भी पीछे नहीं हट रहे थे। इस समय, गुरु नानक देव जी ने अपने संदेश के माध्यम से ऊंच-नीच, बड़े-छोटे, अमीर-गरीब के भेदभाव को खत्म करने की मिशन पर काम किया।


गुरु नानक देव जी ने 5 उदासियों की यात्रा की

नानक देव जी ने अपने जीवन में 5 उदासियां की, जिन्हें लंबी यात्राएँ कहा जाता हैं। इस दौरान, वे अयोध्या भी गए थे, जिसका जिक्र सिख धर्म के जानकार राजिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में किया था। अयोध्या फ़ैसले की कॉपी में पेज संख्या 991-995 में गुरु नानक जी का जिक्र किया गया है, जिससे प्रमुख आधार मिलता है कि बाबर के हमले से सालों पहले भी अयोध्या एक तीर्थस्थल था और वहां पूजा-पाठ होते थे। गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान अयोध्या का दर्शन किया था।


सिख धर्म के प्रथम गुरु

सिख धर्म की उत्पत्ति 5 शताब्दी में गुरु नानक से हुई थी। नानक एक हिन्दू परिवार से उत्पन्न हुए थे, और वे मुस्लिम पड़ोसियों के बीच बड़े हुए। उनके जीवन में बचपन से ही आध्यात्मिक रूप में रूचि दिखाई देती थी। उन्होंने धार्मिक परंपराओं में भाग नहीं लिया और अपने आत्मा के विकास का मार्ग चुना। नानक ने शादी की और कारोबार भी किया, लेकिन वे ईश्वर और आत्मा के प्रति अपने विशेष समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने मूर्तिपूजा के खिलाफ थे और उन्होंने अपने उदासी के दौरान सिखों को एक नए धर्म की शिक्षा दी। गुरु नानक देव जी के प्रत्येक उदासी के दौरान, उन्होंने अपने चार शिष्यों के साथ समय बिताया, जिनमें मरदाना, लहना, बाला और रामदास थे। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को उत्तराधिकारी बनाया, जिन्होंने गुरु अंगद देव के रूप में सिखों के दूसरे गुरु का कार्यभार संभाला।


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FAQ

प्रश्न – गुरु नानक जयंती 2023 कब है?

उत्तर- 2023 में गुरु नानक जयंती 27 नवंबर को है।


प्रश्न- गुरु नानक की मृत्यु कब और कहां हुई थी ?

उत्तर- गुरु नानक देव जी की मृत्यु 12 सितंबर 1539 में हुई थी।


प्रश्न- गुरु नानक कौन से धर्म से थे ?

उत्तर- गुरु नानक जी हिंदू धर्म से थे फिर उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की थी।


प्रश्न- गुरु नानक जी का जन्म कब हुआ था ?

उत्तर- गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469, तलवंडी नामक गांव में हुआ था।


प्रश्न- गुरु नानक की पत्नी का क्या नाम था?

उत्तर- गुरु नानक जी की पत्नी का नाम माता सुलखनी था


प्रश्न- गुरु नानक देव जी के कितने पुत्र थे?

उत्तर- गुरु नानक जी के दो पुत्र थे श्री चंद और लक्ष्मी चंद।


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