Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas | कौन थे गुरु तेग बहादुर जी, किसने कटवाई थी उनकी गर्दन, जाने पूरा इतिहास

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Guru Tegh Bahadur
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Guru Tegh Bahadur shaheedi Diwas [History, date of birth, death, delhi dry day,] गुरू तेग बहादुर सिंह [जन्म, इतिहास, मृत्यु]


भारतीय इतिहास के पन्नों में, उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने और अपनी धार्मिक मान्यताओं की रक्षा करने वाले वीरों के बलिदान का जज्बा और प्रेरणा सदैव उभरता है। इन महान व्यक्तियों में सिख समुदाय के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह भी शामिल हैं, जिनके शहादत का स्मरण 24 नवंबर को किया जाता है। उन्होंने 21 अप्रैल 1621 को अमृतसर में माता नानकी और गुरु हरगोबिंद के घर जन्म लिया था, और उनका जीवन साहस का प्रतीक था।


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गुरु तेग बहादुर सिंह के साहस का एक महत्वपूर्ण पल किस्सा है कि वे एक बार अपने पिता गुरु हरगोबिंद साहिब के साथ करतारपुर की लड़ाई के बाद किरतपुर जा रहे थे, जब उनकी आयु मात्र 13 वर्ष थी। उन्होंने फगवाड़ा के पास पलाही गांव में मुग़लों की एक टुकड़ी सेना के खिलाफ जाकर बहादुरी से लड़ाई दी। इस साहसी क्रीड़ा में उन्होंने अपने पिता गुरु हरगोबिंद साहिब के साथ साथ खड़े होकर मुग़लों से युद्ध किया। तेग बहादुर ने छोटे से उम्र में अपने साहस और निरंतर जज्बे के साथ खुद को साबित किया और उन्हें “तेग बहादुर” बना दिया।


सिखों के 9वें गुरू गुरू तेग बहादुर सिंह [Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2023]

नाम गुरु तेग बहादुर सिंह
जन्म स्थलअमृतसर
जन्म तारीख21 अप्रैल 1621
गुरु बनाए गएसिख समुदाय के नौवें गुरु
प्रमुख कार्यउत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई, धार्मिक मान्यताओं की रक्षा, समाज सेवा
जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं– करतारपुर की लड़ाई में भाग लेना – गुरु हरकृष्ण साहिब के बाद गुरु बनाए जाने का अवसर – औरंगजेब के सामने तीन शर्तों का इंकार करना – समाज सेवा और धार्मिक कार्यों का प्रचार-प्रसार


गुरु हरकृष्ण साहिब जी के आगमन के बाद गुरु तेग बहादुर की शादी 1632 में जलंधर के पास करतारपुर में बीबी गुजरी से हुई थी। इसके बाद, वे अमृतसर के पास बकाला में विचरण करने लगे। सिखों के आठवें गुरु, गुरु हरकृष्ण साहिब जी के निधन के बाद मार्च 1665 में गुरु तेग बहादुर साहिब ने अमृतसर के गुरु की गद्दी पर बैठकर सिख समुदाय के नौवें गुरु के रूप में कार्यभार संभाला। गुरु तेग बहादुर ने कई वर्षों तक बाबा बकाला नगर में गहरी तपस्या की।


कई रचनात्मक कार्य और समाज सेवा

गुरु तेग बहादुर ने अपने जीवन में धर्म के प्रचार-प्रसार और समाज के उत्थान के लिए कई स्थानों का भ्रमण किया। वे आनंदपुर से कीरतपुर, रोपड़, सैफाबाद के लोगों को धार्मिक शिक्षा देते रहे और उन्हें सहज मार्ग की ओर मार्गदर्शन किया। वे खिआला (खदल) तक पहुंचे, जहां से सत्य मार्ग पर चलने का संदेश दिया। फिर वे दमदमा साहिब तक पहुंचे, जहां साधु भाई मलूकदास का उद्धार किया। इन यात्राओं के दौरान, वे आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक और समृद्धि के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करते रहे। इन यात्राओं के बीच, 1666 में गुरुजी के यहां पटना साहिब में उनके पुत्र गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म हुआ, जो सिख समुदाय के दसवें गुरु बने।


औरंगजेब ने उनके सामने तीन शर्तें रखीं, जिनमें से कोई भी एक स्वीकार करने की मांग की थी। गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम की धारणा करने का इंकार कर दिया और अपने धर्म और मान्यताओं के प्रति अपनी निष्ठा में दृढ़ रूप से खड़ा रहा। उन्होंने कहा कि वे अपने सिर कलम करवा सकते हैं, पर अपने धर्म के अनुसरण को त्याग नहीं सकते। इसके परिणामस्वरूप, 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में जलालदीन जलादीन द्वारा उनका शीर्षक अलग कर दिया गया। आज वही स्थान लाल किले के सामने है, जहां गुरुद्वारा शीशगंज साहिब स्थित है।


क्या है गुरुद्वारा शीशगंज साहिब का इतिहास

गुरुद्वारा शीशगंज साहिब दिल्ली के चांदनी चौक के पास स्थित है और यहां पर गुरु तेग बहादुर जी की गर्दन काटने का इतिहास जुड़ा हुआ है। यहां पर सिख समुदाय के श्रद्धालु उनके शहादत की याद में आकर्षित होते हैं। गुरुद्वारा शीशगंज साहिब एक महत्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थल है और यहां पर आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र भी स्थित है, जो उनके शीर्षक को अलग करने के बाद गुरु तेग बहादुर जी के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को सुनिश्चित करता है।


Delhi Dry Day

दिल्ली सरकार ने बुधवार को एक बड़ा एलान किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जारी बयान में घोषणा की गई है कि गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस को दिल्ली में ड्राई डे के रूप में मनाया जाएगा। अब हर साल 24 नवंबर को राजधानी में ड्राई डे मनाया जाएगा, जबकि 25 दिसंबर को क्रिसमस डे होने के बावजूद ड्राई डे नहीं होगा। इस घोषणा से पहले, दिल्ली सरकार उत्पाद विभाग ने इसकी घोषणा की थी।


अरविंद केजरीवाल सरकार के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली में ड्राई डे होगा, जिससे उस दिन राजधानी में शराब की दुकानें बंद रहेंगी। इसके साथ ही, बार और पब भी बंद रहेंगे। इस बयान के मुताबिक, क्रिसमस पर ड्राई डे नहीं होगा। आबकारी विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस नई घोषणा के बाद, 25 दिसंबर को क्रिसमस डे को ड्राई डे नहीं घोषित किया गया है।


29 सितंबर 2023 को, आबकारी विभाग ने अपने आदेश में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान छह ड्राई डे घोषित किए थे, जिसमें 25 दिसंबर भी शामिल था। ताजा आदेश में क्रिसमस के दिन ड्राई डे नहीं घोषित करने का निर्णय लिया गया है।


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FAQ

Q- गुरु तेग बहादुर जी कोन थे ?

ANS- गुरु तेग बहादुर जी, सिख धर्म के आठवें गुरु थे। उन्होंने 1665 से 1675 तक सिख समुदाय के गुरु के रूप में सेवा की। उनका महत्वपूर्ण योगदान सिखों के धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मिक समानता के लिए था।


Q- कैसे पड़ा गुरु तेग बहादुर नाम ?

ANS- गुरु तेग बहादुर जी का नाम पिता गुरु हरगोबिंद साहिब ने उन्हें दिया था। उनका नाम उनके जीवन में उनके साहस और वीरता को स्पष्ट दर्शाने के लिए था, क्योंकि “तेग बहादुर” शब्द का अर्थ होता है “तलवार का बहादुर”।


Q- गुरु तेग बहादुर कब बने 9वे गुरु ?

ANS- गुरु तेग बहादुर जी ने सिख समुदाय के नौवें गुरु गुरु हरकृष्ण साहिब के देहांत के बाद, मार्च 1665 में अमृतसर के गुरु की गद्दी पर बैठकर सिखों के नौवें गुरु के रूप में कार्यभार संभाला।


Q- किसने कटवाई थी गुरु तेग बहादुर जी की गर्दन ?

ANS- गुरु तेग बहादुर जी की गर्दन को 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में जलालदीन जलादीन नामक जल्लाद ने तलवार से काट दिया था। इस घातक हादसे के बाद उनका शीर्षक अलग हो गया और वे शहीद हो गए।


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